सपा को भुगतना न पड़े इन मुस्लिम चेहरों की अनदेखी का खामियाजा

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नई कार्यकारिणी में नहीं मिली तेज़तर्रार सपाइयों को जगह
जावेद अहमद
जौनपुर। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के करीबी नेता को नई कार्यकारिणी में जगह ही नहीं मिली। पार्टी की बैठकों में दमदारी के साथ आवाज़ उठाने वाले नेताओं को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। भदेठी कांड में जिला मुख्यालय से लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक भाजपा की राजनीति की कलई खोलने के सूत्रधार को एक साधारण सदस्य ही रखा गया है। ऐसे ही कई नेता हैं जो जिले की कार्यकारिणी में जगह हासिल नहीं कर पाए। कार्यकारिणी के गठन के बाद अब विरोध के सुर भी उठने लगे हैं। 
मुस्लिम-यादव समीकरण के बदौलत जौनपुर की नौ विधानसभा सीटों पर भी चुनावी ताल ठोंकने वाली सपा को अब मुस्लिम विरोध का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल जिले भर की सीटों पर चुनाव के दौरान पार्टी के झंडाबरदार रहे कई मुस्लिम चेहरों को नई कार्यकारिणी में जगह नहीं दी गई। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सपा को इनकी ज़रूरत है, क्योंकि ज़िले के मुस्लिम वोटरों को साधने की ज़िम्मेदारी काफी हद तक पार्टी के इन्हीं मुस्लिम चेहरों पर रहती है। आगामी चुनाव में पार्टी कार्यकारिणी से इनको दूर करने का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। इनमें कुछ बड़े नाम ये हैं-

अनवारुल हक गुड्डू- पुराने सिपाही रहे अनवारुल हक गुड्डू को तो पिछले साल खुद अखिलेश यादव ने ज़िला उपाध्यक्ष घोषित किया था। ज़िले में व्यापारियों के बड़े नेता माने जाने वाले गुड्डू हमेशा से मुस्लिम चेहरे के तौर पर सामने आए। वे मरकज़ी सीरत कमेटी के अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी भी उठा चुके हैं। इतना ही नहीं चर्चित कब्रिस्तान की चहारदीवारी कराने पर समाज में जमकर प्रशंसा भी हुई। कुल मिलाकर मुस्लिम समाज में इनकी अच्छी पैठ है। 

निजामुद्दीन अंसारी- कचगांव निवासी निजामुद्दीन अंसारी अपने गांव के दो बार से प्रधान हैं। मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। सिर पर समाजवादी टोपी और हाथ में झंडा लिए साइकिल पर सवार निजामुद्दीन अंसारी को सभी सच्चे सिपाही के तौर पर जानते हैं। सभी चुनाव और पार्टी के कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले निजामुद्दीन अंसारी को भी पार्टी कार्यकारणी में जगह नहीं दी गई।

इरशाद मंसूरी- बलुआघाट चकप्यार अली क्षेत्र जैसे भाजपा के गढ़ में लगातार दूसरी बार सभासद बने सपाई इरशाद मंसूरी युवाओं में अपनी अलग पहचान रखते हैं। हर चुनाव, रैली, कार्यक्रम में सपा का झंडा बुलंद करते रहे। इस बार कार्यकारिणी का गठन हुआ तो उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया गया। 

डॉ. हसीन बबलू- मीरमस्त वार्ड के पांच बार से सभासद डॉ. हसीन बबलू पुराने सपाई हैं। मरकजी सीरत कमेटी के सदर भी रह चुके हैं। सपा के झंडाबरदारों में ये भी एक बड़ा नाम हैं। नगर क्षेत्र में रहने के कारण मुस्लिम समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं। सदर विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों को सपा के पक्ष में लाने की बड़ी ज़िम्मेदारी भी उठाते हैं। बदकिस्मती से गुरुवार को घोषित जिला कार्यकारिणी में इनको भी जगह नहीं दी गई।

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