कोरोना काल में एक मकान से किए गए थे गिरफ्तार
जौनपुर। सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के लाल दरवाजा स्थित एक मकान से 31 मार्च को गिरफ्तार 14 बांग्लादेशियों व अन्य आरोपियों पर से धारा 307 विवेचक द्वारा हटा दी गई है। साथ ही पासपोर्ट एक्ट व फॉरेनर्स एक्ट की धाराओं से उन्मोचन के लिए बांग्लादेशियों के अधिवक्ता ने कोर्ट में दरख्वास्त दी है। जिला जज ने सुनवाई के लिए 29 जून की तिथि नियत करते हुए पत्रावली अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ की अदालत में ट्रांसफर कर दी है।
बता दें कि देश में कोरोना काल के दौरान एक के बाद एक जमातियों पर मुकदमे दर्ज हो रहे थे। इसी बीच 31 मार्च को मोहम्मद फिरदौस समेत 14 बांग्लादेशियों व अन्य आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने फॉरेनर्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट व आईपीसी की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। विवेचक ने पहले धारा 307 व अन्य धाराओं में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल किया। बाद में आरोपी मकान माालीके मुनीर अहमद व उनके बेटे का पुलिस ने अग्रिम विवेचना करते हुए बयान लिया।
इसमें बताया गया कि कुछ जमात के घर में रुके हुए थे। इसी बीच लॉकडाउन हो गया।उनमें से कुछ लोग कोरोना संक्रमित पाए गए।उन लोगों को कोरोना होने की जानकारी नहीं थी। न ही उनमें कोरोना के लक्षण थे। वे घर के बाहर भी नहीं निकले। संक्रमण फैलाने का उनका उद्देश्य नहीं था। वह लोग जमात से संबंधित थे। धार्मिक कार्य के लिए आए थे।अच्छी भावना के कारण हम लोगों ने किराए पर कमरा दिया था। बयान के आधार पर पुलिस ने बांग्लादेशियों व अन्य पर से धारा 307 हटा दी। जिला जज की कोर्ट में आरोपियों की ओर से उन्मोचन प्रार्थना पत्र दिया गया कि साक्ष्य न मिलने पर विवेचक ने धारा 307 हटा दिया है। फॉरेनर्स एक्ट व पासपोर्ट एक्ट की धाराएं भी उन पर लागू नहीं होती। आरोपी दिल्ली निजामुद्दीन औलिया व जनपद की बड़ी मस्जिद घूमने आए थे जो कि तीर्थ स्थल माने जाते हैं। भारत एवं बांग्लादेश के वीजा संबंधित एग्रीमेंट की धारा के अंतर्गत 'लांग टर्म मल्टीपल एंट्री टूरिस्ट वीजा' में व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति टूरिस्ट वीजा से आने पर भारत देश में अपने धर्म से संबंधित तीर्थ स्थलों पर जा सकता है और उसका दर्शन कर सकता है। दरगाह व मस्जिद पर जाने से पासपोर्ट एक्ट का कोई उल्लंघन नहीं हुआ।आरोपियों को धारणाओं से उन्मोचित करने तथा पत्रावली सीजेएम कोर्ट में प्रेषित करने की कोर्ट से मांग किया।