जौनपुर। मुफ्ती हाउस की ओर से आयोजित किए जाने वाले 100 साल पुराने नूरानी मरक़ज़ी आशरे में मजलिस गुरुवार को सम्पन्न हुई। मरहूम नज़र हसन एडवोकेट के हमनवां ने सोज़ख़्वानी की। मजलिस को मौलाना गुलाम रसूल नूरी साहब कश्मीरी ने खेताब किया। उन्होंने अपने बयान में रसूल और दीन पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को उनके हक दिए गए हैं। इस्लाम प्रेम और सौहार्द के साथ जीने का धर्म है। इसमें कटुता का कोई स्थान नहीं है। शादाब जौनपुरी ने अपनी पेशखानी में "जो अश्क़ ग़म के सिबते पयंबर में बहा है..वह अश्क़ ए अज़ा आशिक ए नबी अश्क़ के वफा है. हम लोग दरे आले पयंबर के दिये हैं. नाकाम बुझाने में हमें अब भी हवा है. इसे एहदे पूरा शौब में जो हम हैं सलामत. सदक़ा है अज़ादारी का ज़ाहरा की दुआ है.. पेश किया। मजलिस के बाद शाबीहे ज़ुल्जनाह वा शाबीहे ताबूत बरामद हुआ। इसके हमराह अंजुमन ज़ुल्फ़ेकारिया बड़ी मस्जिद ने नौहीख्वानी, सीनाज़ानी वा ज़जीरज़नी की। संचालन ताबिश काज़मी ने किया।
मुफ़्ती नजमुल हसन, मोहम्मद रज़ा आब्दी, ज़ी हशम मुफ़्ती, मोहम्मद मोहसिन आब्दी, मसूद आब्दी, मौलाना अहमद अब्बास, अनवार आब्दी, दानिश काज़मी, अली रज़ा आब्दी, अहमद रज़ा आब्दी, अंजार आब्दी, मौलाना सरकार अली ज़ैदी, अबूतुराब मुफ़्ती, ताहा मुफ़्ती, फज़ल आब्दी, बेलाल आब्दी, शब्बीर आब्दी, मोहम्मद मेहदी आब्दी, सादिक़ आब्दी, साहिल आब्दी, फैज़ी रिज़वी, रमीज काज़मी, सादिक़ आब्दी आदि मौजूद रहे।