जौनपुर। 'विद्यार्थी जीवन में अनंत शक्ति और संभावनाएं हैं। आवश्यकता इस बात की है कि विद्यार्थी उसका उपयोग करके खुद को और समाज को आगे बढ़ाएं। विद्यार्थी समय का सदुपयोग करें, क्योंकि जो समय बीत जाता है वह वापस नहीं आ सकता। ये बातें तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शुक्रवार को आयोजित प्रेरक व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत पूर्व कुलपति प्रोफेसर दुर्ग विजय सिंह चौहान ने कहीं।
उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि आगे बढ़ो और विश्व का कल्याण करो। ज्ञान के माध्यम से ही विश्व का कल्याण किया जा सकता है। संसार में जीत उसकी होती है जिसके पास ज्ञान है। संस्कृत में कहा गया है 'स्वदेशं पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते' अर्थात राजा की पूजा केवल अपने देश में होती है किंतु विद्वान की पूजा सर्वत्र होती है। विद्या विनय प्रदान करती है। वेद के साथ-साथ लोक व्यवहार का ज्ञान होना आवश्यक है। बड़े लक्ष्य, अच्छे कार्य में बड़ी बाधाएं आती हैं। इसलिए बाधाओं से हमको घबराना नहीं चाहिए। उनका डट कर मुकाबला करना चाहिए और जो मुकाबला करते हैं वो सफल हो जाते हैं। उन्हीं का दुनिया में नाम होता है। ज्ञान का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से प्रयोग हो सकता है। सज्जन व्यक्ति के ज्ञान से समाज का कल्याण होता है और दुर्जन व्यक्ति के ज्ञान से समाज का नुकसान होता है। इसलिए ज्ञान होना तो जरूरी है ही किंतु सार्थक ज्ञान होना और भी जरूरी है।
भारतीय संविधान पढ़ना है तो व्याख्यान में आएं- प्रो. आलोक
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.आलोक कुमार सिंह ने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि वक्ता के उद्बोधन से प्रभावित होकर आप उनके जैसा बनें। विद्यार्थी वक्तव्य सुनकर उसे आत्मसात करें और अपने जीवन में उतारें। महाविद्यालय के बलरामपुर सभागार में भारतीय संविधान पर प्रति सप्ताह दो व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा। जिन विद्यार्थियों को भारतीय संविधान पढ़ना हो वह उस व्याख्यान में आकर लाभ ले सकते हैं।
यूं हुई कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम के प्रारंभ में अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. आरएन ओझा ने मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया। प्रो. सुबाष चंद बिशोई एवं डॉ महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न एवं अंग वस्त्र से सम्मानित किया। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ. वेद प्रकाश सिंह ने कहा कि प्रोफेसर दुर्ग विजय सिंह चौहान किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। हम उनको पाकर धन्य हैं। उनके प्रति हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर जीडी दुबे ने किया। इस अवसर पर डॉ विशाल सिंह, डॉ अवनीश कुमार, डॉ नरेंद्र देव पाठक, डॉ शुभ्रा सिंह, डॉ लालचंद यादव, रितेश सिंह, चंद्र प्रकाश गिरि, ऊषा सिंह सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।