जौनपुर। अगर आपने हीरो को फिल्मी पर्दे पर देखा है तो आप गलत हैं। जौनपुर की धरती पर आइए और यहां ऐसे-ऐसे हीरो देखने को मिलेंगे जो कोरोना काल में लोगों की मदद के लिए दिन-रात खड़े हैं। राशन से लेकर भूखों को खाना देने तक का जिम्मा इन्होंने उठा रखा है। लोगों की मदद के लिए कहीं से फंड का भी इंतजार नहीं करते। इनका तो यह भी दावा है कि जहां सरकारी तंत्र फेल हो जाता है वहां से हमारी मदद शुरू होती है।
श्रवण जायसवाल- नगर के नखास निवासी श्रवण जायसवाल व्यवसाई भी हैं और समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता भी। लेकिन इस कोरोना काल में राजनीतिक नहीं बल्कि जन सेवा का माद्दा लिए लोगों की मदद कर रहे हैं। श्रवण बताते हैं कि लॉकडाउन लगने के बाद से उन्होंने एक टीम बनाई जो बिना स्वार्थ उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो सके। इसके बाद उनके साथ जीशान खान, अशोक साहू, अनवारुल हक़ गुड्डू, मनोज तिवारी, गौतम सोनी, डॉ प्रमोद वाचस्पति, पवन जायसवाल, संतोष गुप्ता, राजेश यादव, फैज अहमद, फिरोज नोमान अंसारी आदि लोग जुड़ गए। श्रवण का दावा है कि सरकारी मदद नाकाफी है। लोग सरकार की तरफ से मिलने वाले खाने की भी लगातार शिकायत कर रहे हैं। इसके बाद उनकी टीम ने अपने पैसों से बेहतर और गुणवत्तायुक्त खाना देने की ठानी। आज करीब 37 दिनों से रोज़ाना 600 पैकेट तक खाना उन बस्तियों जैसे जोगियापुर, बलुआघाट, ईरानी बस्ती, सांची मोहल्ला, मिट्टीकुआं, बागेअरब, सिपाह आदि तक पहुंचाया जा रहा है जो उपेक्षित हैं। रोज़ यहां मंझे हुए पप्पू बावर्ची से अलग-अलग पकवान बना कर लोगों का बिना भेदभाव पेेट भरा जा रहा है। ये सबकुछ बिना किसी बाहरी मदद के जनसेवा के लिए किया जा रहा है।
सलमान शेख़- नगर के धरनीधरपुर निवासी सलमान शेख सामाजिक कार्यों से जुड़े रहने वाले युवा हैं। उनकी पत्नी मीनाज़ शेख़ ज़ारा इवेंट नाम से संस्था चलाती हैं। लाकडाउन शुरू हुआ तो सलमान शेख को लगा कि लोगों को इस वक्त सबसे ज्यादा ज़रूरत राशन और भोजन की है। सरकारी मदद तो मिल रही है लेकिन अगर और लोग भी हाथ बढ़ाएं तो ज़रूरतमंदों को मुश्किलों का सामना नहीं करना होगा। इसके बाद उनकी टीम में शामिल ज़ीशान शेख़, राजकुमार, दिलशाद, अंकित, फ़िरोज़, कमालुद्दीन ने मदद को हाथ बढ़ाने की ठानी। सलमान बताते हैं कि बीते 11 अप्रैल से उनकी टीम ने बिना किसी अन्य आर्थिक मदद के 300 पैकेट भोजन बांटने का बीड़ा उठाया है। भोजन लोगों तक पहुंचना शुरू हुआ तो अन्य लोगों ने भी खाने की मांग शुरू कर दी। इसके बाद 100 पैकेट और बढ़ाकर 400 पैकेट रोजाना खाना लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। इसमें जितने लोग शामिल हैं वो बिना किसी स्वार्थ के मदद में लगे हैं जिससे इस कोरोना काल में कोई भूखा न रह जाये।