विशेष तौर पर मिडिल क्लास को मदद पहुंचाना है। जानिए इनके बारे में।
संजय सेठ- पेशे से व्यवसायी और ज़ेब्रा समूह के ज़िलाध्यक्ष हैं। कोरोना ने लोगों को असहाय किया तो इन्होंने अपने साथियों के साथ मदद के लिए हाथ बढ़ाया। इस दौरान उन्होंने देखा कि निचले तबके की मदद करने के लिए सरकार मौजूद है और उच्च वर्ग को मदद की जरूरत नहीं है। एक मिडिल क्लास ही है जो न किसी से कुछ मांग सकता है, न सरेआम किसी से कुछ ले सकता है। उससे खुद्दारी आड़े आ रही थी। संजय बताते हैं कि उनकी मदद के लिए हम एकजुट हुए। नगर के कई मोहल्लों में इनको चिन्हित किया गया। फिर खाद्य सामग्री की एक किट तैयार की गई जिसमें आटा, दाल, चावल, सब्जी, तेल, मसाला आदि पैक किया गया। यह सामान मिडिल क्लास तक पहुंचाने के लिए भी समय तय किया गया। रात 8 बजे के बाद टीम इनके घर घरों में पहुंची। सम्मान के साथ इन्हें राशन दिया गया।
अनवारुल हक़ गुड्डू-- मरकज़ी सीरत कमेटी के पूर्व सदर और समाजवादी पार्टी के नेता अनवारुल हक गुड्डू भी कोरोना काल में लोगों की मदद के लिए सामने आए। इन्होंने भी
विशेष कर मिडिल क्लास को ही मदद के लिए चुना। अनवारुल बताते हैं कि निचले तबके तक तो मदद पहुंचाई ही गई, लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार का ख़्याल कोई नहीं रखता। यह तबका हमेशा मदद से महरूम रह जाता है। कोई भी आपदा आती है तो हर कोई निम्न वर्ग को ही मदद पहुंचाता है। ऐसे में ज़रूरी हो गया है कि मिडिल क्लास को भी मदद पहुंचाई जाए। इसके बाद राशन, भोजन समेत जो भी ज़रूरत समझ में आई मिडिल क्लास तक पहुंचाई जा रही है। व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने अपने सामर्थ्य अनुसार राशन किट लोगों तक पहुंचाई।