कांग्रेस ने दी एक हज़ार बसें, योगी सरकार ने उनको फिटनेस चेक के झाम में उलझाया- फ़ैसल

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मज़दूरों की मजबूरी पर सियासत कर रही है योगी सरकार

जौनपुर। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा एक हज़ार बसों से मज़दूरों को घर भेजने की पेशकश और उस पर योगी सरकार की प्रतिक्रिया पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने दुख जताया है। जिलाध्यक्ष फैसल हसन तबरेज ने मंगलवार प्रे जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रदेश सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार अहंकार में डूबी हुई है। प्रदेश के लोग बड़ी संख्या में देश के विभिन्न कोनों में आजीविका के लिए मजदूरी करते हैं। कोरोना महामारी के कारण प्रवासी मजदूरों का अपने गांव के लिए पलायन हो रहा है। सड़कों पर त्राहिमाम मचा हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार मजदूरों की मदद करने की बजाय उन पर लाठियां बरसा रही है। मजदूरों के दर्द को देखकर राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी एवं प्रभारी उत्तर प्रदेश प्रियंका गांधी ने पार्टी के खर्च पर एक हजार बसें चलानी की अनुमति मांगी। जिससे पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों को उनके गांव तक पहुंचाया जा सके, लेकिन प्रदेश सरकार ने विलम्ब से 18 मई को बसों को अनुमति दी।  
मगर बसों का उपयोग तत्काल मजदूरों की मदद के लिए करने के बजाय बसों को लखनऊ फिटनेस चेक करने के लिए मंगाया जा रहा है। इसके बाद ही उन बसों को बॉर्डर पर भेजा जाएगा। इसमें 2 दिन से ज्यादा वक्त लगेगा। सरकार के पास प्रत्येक जनपद में अपनी आरटीओ संस्थान है। कांग्रेस पार्टी द्वारा उपलब्ध कराई गई बसों को बार्डर के नजदीक के जनपदों में फिटनेस चेक कराके तत्काल मजदूरों की मदद में लगाई जानी चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने की बजाय उनकी मजबूरी पर सियासत कर रही है। उत्तर प्रदेश-राजस्थान बार्डर व आगरा बार्डर पर कांग्रेस पार्टी द्वारा मजदूरों की मदद के लिए उपलब्ध करायी गयी बस खड़ी है, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस यूपी सचिव की अनुमति मिलने के बाद भी घुसने नहीं दे रही है। ये उत्तर प्रदेश सरकार की असंवेदनशीलता का प्रतीक है। प्रदेश सरकार को मजदूर कभी माफ नहीं करेगा।

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