जौनपुर। जिला अस्पताल में एक युवती की हालत देख किसी डॉक्टर की हिम्मत नहीं हुई कि इलाज के लिए उसे हाथ भी लगा सके। वो लगातार छींक रही थी। दर्द से चिल्ला रही थी। फर्श पर पड़ी मदद की गुहार लगा रही थी, लेकिन घंटों न उसे इलाज मिला न मदद। इसी बीच मीडिया का कैमरा चमका तो आनन फानन में उसे भर्ती किया गया। पूरा मामला शुक्रवार को ज़िला अस्पताल में सामने आया।
बक्शा थानांतर्गत निवासी एक युवती इलाज के लिए परिजन संग शहर के कई अस्पतालों में गई। कई जगह बंदी होने के कारण उसे दिखाया नहीं जा सका। जो खुले थे उन्होंने इलाज से इनकार कर दिया। इसके बाद परिजन उसे जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। राहत उनको वहां भी नहीं मिली। वहां युवती की हालत देख अस्पताल प्रशासन भाग खड़ा हुआ। वो लगातार फर्श पर पड़ी तड़प रही थी। बार-बार उसे छींक भी आ रही थी। वो कोरोना की चपेट में न आ गई हो, इसलिए सभी ने दूरी बना रखी थी। इलाज तो दूर उसे स्ट्रेचर भी न मिला। इसी बीच कुछ पत्रकार वहां पहुंच गए। अस्पताल की फर्श पर उसे तड़पता देखा तो कैमरा निकालने के साथ ज़िला प्रशासन के उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी। दबाव और फटकार मिली तो आनन फानन में उसे भर्ती किया गया। कोरोना का पता लगाने के लिए उसका सैम्पल भी लिया गया। इस मामले में जब मुख्य चिकित्साधीक्षक से पूछा गया तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन को दोषी न ठहराते हुए पत्रकार को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया । सीएमएस के मुताबिक पत्रकार ने इस घटना को ऐसा रूप दे दिया जिसके बाद डॉक्टर और कर्मचारी डर गए थे। हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर मीडिया का कैमरा न होता तो उस महिला को न जाने कितने घंटे फर्श पर ही तड़पना पड़ता।