जौनपुर। सहकारी पीजी कॉलेज मिहरावा के प्राचीन इतिहास व राजनीत विभाग के संयुक्त तत्वाधान में मंगलवार को "भारतीय नारी कल, आज और कल" विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता प्रोफेसर वंदना दुबे ने कहा कि प्राचीन भारत में महिलाओं को समानता का अधिकार था। उन्हें चिंतन-मनन करने की स्वतंत्रता थी। धीरे-धीरे समय के साथ नारी जीवन में असमानता घर कर गई, लेकिन अब समय बदल रहा है। महिलाओं ने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। विज्ञान और तकनीकी द्वारा महिलाओं का भविष्य उज्जवल है, परन्तु इसके साथ पितृसत्तात्मक सोच का अंत होना चाहिए।
महिला जीवन पर आज भी पितृसत्ता का प्रभाव- डॉ. संजय
डॉ. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि आज महिला जीवन पर पितृसत्ता का प्रभाव है। समय के साथ अभी बहुत कुछ बदलाव अपरिहार्य है। यह सभी मानवता के हित में है। संगोष्ठी के संरक्षक महाविद्यालय के प्रबंधक श्री राजीव कुमार सिंह ने प्राचीन भारत में नारियों की स्थिति का प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन भारत में स्त्री को प्रतिष्ठा प्राप्त थी। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफ़ेसर आशुतोष गुप्ता ने नारी शिक्षा को अपरिहार्य बताया। कहा कि उच्च तकनीकी शिक्षा से लैस इस युग में बदलाव की बयार बह रही है। आने वाला कल महिलाओं का है। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर पुष्पा सिंह ने व धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर योगेंद्र प्रताप सिंह ने किया। विषय परिचय डॉक्टर संजय शर्मा ने कराया।
ये रहे उपस्थित...
तिलकधारी महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक कुँवर शेखर गुप्ता, सहकारी महाविद्यालय के प्राचार्य आशुतोष गुप्ता, प्रोo पुष्पा सिंह, प्रोo मुक्ता राजे, डॉo राज बहादुर यादव, डॉo अरविंद कुमार सिंह, डॉo विकास सिंह, डॉo रविकांत सिंह, डॉo शिव कुमार यादव, डॉo, शिव प्रताप सिंह, डॉo नितेश यादव, डॉo तारकेश्वर सिंह, डॉo राघवेंद्र कुमार, डॉo मनोज कुमार सोनकर, डॉo संजय कुमार शर्मा, डॉo संजय सिंह, डाo बृजेश कुमार श्रीवास्तव, सूरज गुप्ता, अर्जुन यादव व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
By Javed Ahmad